कालसर्प दोष: जानें किस जगह पर इस दोष से मुक्ति के लिए की जाती है पूजा

कालसर्प दोष एक ऐसा योग जो कुछ ग्रहीय योग के बनने से होता है। जब जातक की कुंडली में उपस्थित ग्रह राहु और केतु ग्रह के बीच आ जाते हैं तब वो कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो वो प्रभावहीन हो जाते हैं। इसलिए आज हम जानेंगे की किस जगह पे कालसर्प दोष का निवारण किया जाता है।

ये ग्रह जिस भाव पे उपस्थित है वो भाव जातक को किसी तरह का कार्य नहीं करने देता। कुंडली के बाएं भाग पे यदि कालसर्प दोष उपस्थित हो और वो उस जातक के उसके निजी जीवन से सम्बन्ध रखता हो तब यह दोष उनके खुशियों का नाश कर देता है। यदि कुंडली के दाहिने और कालसर्प दोष है तो वो भाग्य के साथ-साथ व्यवसाय और धन आगमन का भी नाश कर देता है। इसलिए यदि किसी के कुंडली में कालसर्प दोष उपस्थित है तो उस जातक को तुरंत किसी ज्योतिषाचार्य की सहायता से उस दोष का निवारण करवाना चाहिए।

 

कालसर्प दोष निवारण स्थान:

भारत में कुछ ही मंदिर ऐसे हैं जहाँ इस दोष का निवारण करने और उससे सम्बंधित पूजा करने से इस दोष का नाश होता है। इन दिव्य स्थानों में यदि कालसर्प दोष की पूजा की जाए तो फल अवश्य प्राप्त होगा, लेकिन ये तभी सफल होगा जब पूजा करने वाले इससे सम्बंधित सारी जानकारियां रखता हो।

 

  • त्र्यम्बकेश्वर:

नासिक के नजदीक स्थित त्र्यम्बकेश्वर में स्थित भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग स्थित है। इस पवित्र स्थल पे कालसर्प की पूजा करने के बाद नाग-नागिन का जोड़ा छोड़ने से इस दोष से मुक्ति मिलती है।

 

  • प्रयाग संगम:

इलाहबाद में स्थित प्रयाग जो जहाँ मनुष्य अपने पापों को धोने के लिए आते हैं। इस जगह पे भी कालसर्प दोष के निवारण की पूजा कराई जाती है। इस जगह पे नाग-नागिन के जोड़े को पूर्ण विधिवत शास्त्रों के अनुसार प्राण-प्रतिष्ठा करवाकर दूध से पूजा की जाती है और उसे नदी में प्रभावित किया जाता है।

 

  • त्रियुगीनारायण मंदिर:

केदरनाथ मंदिर जहाँ स्थित ज्योतिर्लिंग को द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है, वहां से 15 कि.लो. पहले ही त्रियुगीनारायण मंदिर में भी इस दोष के निवारण के लिए पूजा कराई जाती है। इस मंदिर में इस दोष के लिए चांदी और तांबे या सोने और चांदी या तांबे से निर्मित नाग-नागिन (उसके साथ 2-3 बच्चों) को अर्पित करना पड़ता है तथा पौराणिक समय से जल रही माँ ज्वाला को चन्दन, गूलर और पीपल कि लकड़ी को अर्पित करना चाहिए। तत्पश्च्यात विधिवत तरीके से पूजा करवानी चाहिए। इसके बाद इस दोष से मुक्ति मिलती है।

 

  • त्रिनागेश्वरम वासुकि नाग:

हमारे दक्षिण भारत के तंजौर नाम के जिले में स्थित है यह मंदिर जहाँ राहु काल के दौरान विधिवत रूप से पूजा करने के बाद मनुष्य के कुंडली में स्थित कालसर्प दोष शांत हो जाता है।

 

  • बद्रीनाथ मंदिर:

इस मंदिर में भी कालसर्प दोष का निवारण किया जाता है। यदि किसी जातक के कुंडली में पितृदोष है तो इस मंदिर में इसकी शांति के लिए पूजा कराया जाता है। यह मंदिर चार धामों में से एक मन जाता है।

 

 

ये समस्त जानकारियां ज्योतिष शास्त्र के अनुसार है|

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