सफल विघार्थी जीवन के लिए महत्वपूर्ण चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य एक महान मनुष्य थे जिन्होने अपने ज्ञान और बुद्धिमता के बल पर उन्होने पूरे भारत के इतिहास को बदल दिया | उनकी नीतियाँ आज भी अगर हम पालन करे तो हम भी पूरे भारतवर्ष के इतिहास को बदल सकेंगे|

उनकी नीतियो मे हर एक मनुष्य चाहे वो स्त्री हो या पुरुष हो या छात्र हो हर एक के बारे मे लिखा गया है| आज हम आपको छात्र से संबंधित बतो के बारे मे बताएँगे , एक छात्र को क्या और कैसे होना चाहिए?

१)सुख की चाह रखने वाले विघार्थी  को विद्या की प्राप्ति नही हो सकती| इसलिए विघार्थी  को सुख का त्याग कर देना चाहिए, क्योंकि विघार्थी के पास सुख कहाँ और सुखार्थी के पास विद्या कहाँ|

२) बुद्धि से धन कमाया जा सकता है ना की धन से बुद्धि|

३)जिस प्रकार एक सुगंधहीन सुंदर फूल का कोई आकर्षण नही होता उसी प्रकार एक अज्ञानी और मूर्ख मनुष्य भी आकर्षण हीन है भले ही वो अच्छे कुल-गोत्र वाले सुन्दर एवं यौवन-सम्पन्न. मनुष्या क्यों ना हो|

४)जिस प्रकार कामधेनु  सुंदर और अनेक अद्भुत गुणों से सम्पन्न होती है, उसी प्रकार ज्ञान भी एक मनुष्य के लिए कामधेनु के समान है|जब विपत्ति आती है तो सब साथ छोड़ देते हैं, मगर ज्ञान साथ नही छोड़ता है|

५)जिस प्रकार घर मे पत्नी मित्र होती है, एक रोगी के लिए औषधि  मित्र होती है और मृत्यु के बाद धर्म मित्र होता है उसी प्रकार विदेश मे ज्ञान ही हमारे लिए हमारा मित्र होता है वो ही हमे वहाँ स्थानीय लोगो मे सम्मान दिलाता है|

६)यदि कोई मनुष्य  विद्याहीन है, तो केवल कुल के कारण उसे प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं होती, जबकि निम्नकुल में भी जन्म लेने वाला विद्वान देवताओं के मध्य भी आदर पाता है।