ज्योतिष के अनुसार सफेद मोती को धारण करने के लाभ

ज्योतिष शास्त्र जिसके पास हर के समस्या के लिए अलग-अलग उपाय है। कुछ उपाय दान-पुण्य से सम्बंधित है तो कुछ मन्त्रों के उच्चारण से। कुछ लोग भले ही इसे अंधविश्वास मने लेकिन यह भी वास्तव में विज्ञान का रूप है। आज हम बेशकीमती रत्नों को धारण करने और इससे किस प्रकार हम अपने समस्या का समाधान कर सकते हैं ये जानेंगे।

 

रत्नों का संग्रह:

हमने कई सारे रत्नों के बारे में सुना है। जैसे नीलम, गोमेद, पन्ना, रूबी। ये सभी रत्न बहुत ही महंगे और कीमती रत्न हैं। लेकिन यदि कोई इसे धारण करने में सक्षम नहीं है तो वे लोग इसके उपरत्नों का उपयोग कर सकते हैं जिसका असर एक सामान होता है। लेकिन आज हम रत्नों की नहीं बल्कि मोती की बात करेंगे।

 

सफेद रत्न:

जिस प्रकार रत्नों का प्रयोग हम ग्रहीय विघ्नों को दूर करने के लिए करते हैं उसी तरह ज्योतिष शास्त्र में मोती का प्रयोग होता है। इस रत्न को चंद्रमा का करक माना जाता है।

 

कब धारण करते हैं मोती:

मोती को धारण करने के भी कुछ नियम होते हैं। जब चंद्रमा कमजोर स्थिति में हो और उस समय जातक की कुंडली में चंद्र ग्रहण लगा हो तब इसे धारण करना चाहिए। ऐसे कई मोती होती है जिनका प्रयोग करने से काज़ी तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। जब चंद्रमा के साथ कुंडली में राहु या केतु एक भाव में बैठे होते है तब चंद्र ग्रहण बनता है। इस ग्रहण का जीवन में अशुभ प्रभाव न पड़े इसलिए सफेद मोती को धारण किया जाता है।

 

मोती के प्रकार:

एस्ट्रोलॉजी के अनुसार केवल आठ प्रकार के मोती पाए जाते हैं जिनके नाम इस प्रकार है: अभ्र मोती, सर्प मोती, गज मोती, शूकर मोती, मीन मोती, बांस मोती, शुक्ति मोती तथा शंख मोती। ये सभी मोतियों का उपयोग कुंडली में स्थित चंद्रमा की स्थिति, उसकी ताकत और व्यक्ति के लग्नानुसार पहनाये जाते हैं। इस धारण करने के पूर्व सर्वप्रथम ज्योतिषी की सलाह जरूर लें।

 

शुद्ध मोती की पहचान:

सबसे महत्वपूर्ण बात है सही और शुद्ध मोती की पहचान। जिसे आप स्वयं कर सकते हैं। जब भी आप मोती खरीदने जा रहे है उस समय ध्यान रखें की वो कहीं से खंडित न हो। मोती श्वेत और चमकदार होना चाहिए। मोती जब हाथों में हो तो वो वजनहिन प्रतीत होना चाहिए।

 

किस प्रकार धारण करें:

मोती की सही पहचान होने के बाद दूसरी महत्वपूर्ण चीज है धारण करना। इसे धारण करने के लिए कुछ नियम होते हैं जिसे हमें मानना चाहिए। चांदी की अंगूठी में 8 से 15 रत्ती का मोती को जड़वा लें। तत्पश्च्यात इसे सोमवार के दिन धारण करें। लेकिन ध्यान रहें धारण करने के एक दिन पूर्व रत में उस अंगूठी को दूध, गंगा जल, शहद, चीनी के मिश्रण में डालकर रखें। अगले दिन पांच अगरबत्ती से चंद्रदेव की पूजा करें और उन्हें समर्पित करें। उसके बाद इसे अपने कनिष्ठिका अंगुली में धारण करें।

 

परिणाम और प्रभाव:

इसे धारण करने के बाद ये 4 दिनों के अंदर अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देता है। शास्त्रों के अनुसार इस मोती का प्रभाव 2 साल एक महीना तथा 27 दिनों तक रहता है। और फिर ये निष्क्रिय हो जाता है। लेकिन यदि आप पुनः इसे धारण करना चाहते हैं तो इस अंगूठी को गन-गुने पानी में चुटकी भर शुद्ध नमक को डालकर रखें। इससे इस अंगूठी की ऋणात्मक शक्ति नष्ट होती है और इसे पुनः धारण किया जा सकता है।

 

कौन-कौन धारण कर सकता है:

जो मनुष्य अमावस्या के दिन जन्म लिए हो, या जिनके कुंडली में राहु के साथ ग्रहण योग बन रहा हो उन्हें मोती धारण करना चाहिए। या किसी जातक के कुंडली में चंद्रमा छठे या आठवें भाव में स्थित हो और कुंडली में नीच में स्थित हो तो उन्हें मोती को धारण करना चाहिए।

 

ये समस्त जानकारियां शास्त्र के अनुसार है|

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